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तेरी धुन, मेरी धड़कन

है दिल धड़कता क्यों मेरा,
बिन पूछे, हर पल, खुद-ब-खुद।
बात करता भी नहीं है,
ज़िद्दी है यह दिल बहुत।

कई दफ़ा मैंने है पूछा,
है धुन तेरी ही क्यों पसंद।
ख़ामोशी में खोया सा बस,
है गुनगुनाता, आँखें बंद।

रात अंधेरी का भी इस पर,
कोई फर्क अब पड़ता नहीं।
कहता है मेरे पास है,
पर रहता तेरे साथ ही।

उठती कलम जब जब मेरी,
सिवा इश्क़ कुछ लिखता नहीं।
चेहरे दिखाए हैं बहुत,
पर ढूँढे सब में तुझको ही।

दिल देखे होंगे तुमने भी,
जो जीते हैं किसी और धुन।
हाँ मेरा थोड़ा है अलग,
एक धुन में ही है यह मगन।

न समझो इसको तुम ग़लत,
यह धुन मुझे भी है पसंद।
बिन बात मैं कभी हँसता हूँ,
मुसकाता मैं भी धुन यह सुन।

फिर डरता भी हूँ सोचकर,
क्या होगा ग़र धुन रुक गई।
धड़कन मेरी जो तुमसे है,
क्या होगा ग़र तुम थम गई।

तेरी धुन पे ही सब है टिका,
चलता मेरा हर श्वास है।
यह दिल सम्भल ना पाएगा,
मुझे पूरा अब विश्वास है।

तुझ संग जुड़ा हर कण मेरा,
ले जोड़ दी अब यह ज़िन्दगी।
चाहे तो कह दे ज़िद्द मेरी,
इस क्षण से साँसें भी तेरी।

ऐ धुन मेरी, अब सुन ज़रा,
इस बात पर तू ध्यान कर।
यह दिल मेरा, तुझसे चला,
इस बात पर ना गुमान कर।

यह सोचकर तू चल ज़रा,
हर तार अब तुझसे जुड़ी।
मैं भी रुकूँगा पल उसी,
जो रुक गई तुम जब कभी।

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